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( सचिव)

मनोज कुमार

समग्र विकास

बिहार सरकार के ट्रस्ट अधिनियम 1882 के अन्तर्गत मान्यता प्राप्त है। इसका कार्य क्षेत्र भारत वर्ष के सभी शहरी व ग्रामीण क्षेत्र है। यह समाज एवं राष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हुए रोजगार तथा रोजगार के अवसर प्रदान कर रही है।

यह विभिन्न क्षेत्रों में सदस्य, परिवार, समाज एवं राष्ट्र के बीच विकास के कड़ी के रूप में कार्य कर रही है। विश्व - बन्धुत्व, भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का विकास करना, गरीबी, अशिक्षा एवं आर्थिक कमजोरी दूर करना, स्वास्थ्य जागरूकता, महिला सशक्तिकरण, युवा एवं बाल विकास तथा पशुपालन के जरिए कृषि इत्यादि कार्यक्रमो को बढ़ावा देना इसका प्रमुख उद्देश्य है।

आज बेरोजगारी महामारी का रूप धारण कर चुकी हैं। रोजगार के घटते अवसर और शिक्षित बेरोजगारों के बीच फासला इतना अधिक होता जा रहा है कि आज की युवा पीढ़ी रोजगार की समस्या को लेकर तनाव व कुंठा जैसी मानसिक विषमताओं से ग्रसित होते जा रहीं हैं। इनके धैर्य का बांध टुटता जा रहा है।

आज के युवाओं को लक्ष्य के प्रति साहस एवं सहनशक्ति का अभाव इनके सामर्थ्य को डिगाने लगता है,वे हतोत्साहित होकर इसके लिए सरकार, परिवार, समाज, अभिभावक या परिस्थिति को जिम्मेवार ठहराने लगते हैं, परन्तु सच कहें तो आज़ के युग में बेरोजगारी के लिए वे स्वयं जिम्मेवार होते हैं, क्योंकि " असफलता यह शिध्द करती है कि सफलता का प्रयास पुरे मन से नहीं किया गया है"और इन सारे सवालों का जबाब लेकर आ रही है राजमणि फाउंडेशन। तो क्या तैयार है हमारे साथ चलने को।

स्मरणशक्ति को प्रकृति का उपहार माना जाता है, लेकिन कुछ उपायों एवं तकनीकों द्वारा इसका बहुत हद तक विकास संभव है। क्योंकि आज के इस सूचना प्रौद्योगिकी के युग में जहां एक ओर सूचनाओं, आंकड़ों एवं जानकारियों का विशाल समंदर बह रहा है वहीं दूसरी ओर वैश्विक प्रतिस्पर्धा मुंह बाए इंतजार कर रही है। ऐसे में कोई बच्चा विद्यालय में कदम रखते ही प्रतियोगिता का हिस्सा बन जाता है तथा अपनी पूरी जिंदगी पढ़ाई के उसी पुराने नियम को अपनाकर किताबों के बोझ तले दबता चला जाता है और अन्त में असफल हो जाता है।

पुराने नियम से मेरा अभिप्राय है कि पढ़ाई को परम तप मानकर पढ़ने का ये (रटना) नियम बैलगाड़ी के जमाने की विकास है। जबकि हमलोग आज वायुयान से लेकर अंतरिक्षयान तक का सफर कर चुके हैं।जो सूचना या पत्र हमारे संबंधियों के पास महिनों बाद पहूंचते थे वहीं आज सेकेंडों में हमें प्राप्त हो जाता है।

जहां हर लोग अपने काम को वैज्ञानिक तकनीक के इस्तेमाल से आसान बनाने में लगे हों, कम से कम समय में अपने कार्यों को पूरा कर अच्छा से अच्छा प्रदर्शन दिखाने में जुटे हों, जहां लोग एक-एक मिनट बचाने के लिए अपने भूख-प्यास, और नींद तक को भी त्याग कर रहे हों, जहां लोगों की जिंदगी की रफ्तार अपनी मंजिल पाने के लिए जीवन के इस प्रतियोगिता रुपी दौर में बुलेट ट्रेन से भी तेज गति से आगे बढ़ रही हों वहां आज भी आप अपनी बैलगाड़ी से इस दौर को जीतना चाहते हैं।

इसीलिए आप अपने बच्चों को हवा के रुख के साथ यानी मेमोरी तकनीक के साथ प्रतिस्पर्धा के इस दौर में आगे बढाये तब आप का बच्चा सफलता की शिखर तक पहुंच पायेगा। " आप हमें अपना बच्चा दें, आपको हम उज्जवल भविष्य देंगे"।

मनोज कुमार                    
(Secretary, Rajmani Foundation)
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